सटीक निशाने पर लगा था इंडियन एयरफोर्स का 'जुगाड़ 2-'चीनी विमान सामने आए तो राफेल मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा देगा।-
करगिल विजय के 22 साल
SHIVANI-AGARWAL CYBER CRIME REPORTER
सटीक निशाने पर लगा था इंडियन एयरफोर्स का 'जुगाड़'
17 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मन डेरा जमाए बैठे थे। इंडियन आर्मी को वहां तक पहुंचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में इंडियन एयरफोर्स ने एक मिशन प्लान किया- 'ऑपरेशन सफेद सागर'।
फ्रांस से खरीदे मिराज 2000 एयरक्राफ्ट पर इजराइल में मंगवाए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल टार्गेटिंग पॉड्स लगाए गए। इनमें 1 हजार पाउंड के देसी बम लगाकर टाइगर हिल पर निशाना साधा गया। एयरफोर्स के इस जुगाड़ ने घुसपैठियों के बंकरों को तहस-नहस कर दिया। इससे इंडियन आर्मी के जांबाज जवानों को चोटियों पर कब्जा
करने में मदद मिली।3 मई 1999 को घुसपैठ की पहली सूचना मिली थी। करगिल से दुश्मन को भगाने के लिए आर्मी ने ऑपरेशन 'विजय' शुरू किया। सभी चोटियों पर कब्जा करने के बाद 26 जुलाई को इंडियन आर्मी ने औपचारिक रूप से युद्ध खत्म होने की घोषणा की। तभी से इस दिन को 'करगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। दो महीने से ज्यादा चली इस जंग में भारत के 527 सैनिक शहीद हुए।
चीनी विमान सामने आए तो राफेल मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा देगा।-
चीन एलएसी के करीब अपने सात वायुसैनिक अड्डों पर रनवे लंबा करने के साथ पक्की छत वाले शेल्टर बना रहा है और भारत सातों एयरबेस पर नजर रखे हुए है। फिर खबर आई कि चीन एलएसी के पश्चिमी हिस्से के करीब होतान और काशघर के बीच साकची में नया एयरबेस बना रहा है। अब हम आपको बताते हैं तीसरी खबर- भारत ने अत्याधुनिक राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन को भारत-चीन-भूटान सीमा के पास हाशिमारा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात कर दिया है। इस स्क्वाड्रन के लिए 6 राफेल भारत पहुंच चुके हैं और 12 अभी आने बाकी हैं।
300 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह करने वाली SCALP क्रूज मिसाइल से लैस राफेल हाशिमारा बेस से उड़कर एलएसी के करीब चीन के तकरीबन सभी महत्वपूर्ण अड्डों को निशाना बना सकता है। इस बीच अगर चीनी विमान आड़े आए तो राफेल 100 किमी दूर से ही मेटेयोर (Meteor) मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा देगा। चीन ने अगर एलएसी लांघकर हमारे इलाके में कुछ ढांचा वगैरह बनाया तो राफेल के हैमर (Hammer) स्मार्ट बम उस ठिकाने के जीपीएस कोऑर्डिनेट्स पढ़कर उसे तबाह कर देंगे।
अब आप समझ ही गए होंगे कि भारतीय वायुसेना ने आखिर क्यों राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन को हाशिमारा में तैनात किया है। तो आइए अब जानते हैं राफेल के उन हथियारों के बारे में, जो चीन को एलएसी के उस पार ही रखेंगे पश्चिमी बंगाल के हासिमारा में तैनात राफेल के इस दूसरे स्क्वाड्रन का नाम 101 फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर है। 2011 में मिग-21 के रिटायर होने के बाद से यह स्क्वाड्रन सक्रिय नहीं था। स्क्वाड्रन को अस्थाई रूप से बंद करने को वायुसेना की भाषा में नंबर प्लेटिंग कहा जाता है। 101 वीं स्क्वाड्रन 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में शामिल हुआ था। फ्रांस के इस्त्रेस एयरबेस से 8000 किलोमीटर की सीधी उड़ान भरकर 21 जुलाई तीन और राफेल भारत पहुंचे। आज इन्हें भी औपचारिक रूप से 101 फाल्कन्स स्क्वाड्रन में शामिल कर लिया गया।
हासिमारा पर चिकन नेक और नाथुला दर्रे की सुरक्षा भी
लद्दाख की राजधानी लवासा से केवल 364 किलोमीटर दूर हाशिमारा एयरफोर्स स्टेशन पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में है। यह जगह हमारे उत्तर-पूर्वी राज्यों को बाकी देश से जोड़ने वाले संकरे चिकन नेक के ऊपर है। हाशिमारा के उत्तर में नेपाल है और दक्षिण में बांग्लादेश। हाशिमारा बेस पर सिक्किम में नाथुला दर्रे की सुरक्षा का भी जिम्मा है।
15 जून 2020 को गलवान के खूनी टकराव के बाद तनाव बढ़ा तो भारतीय वायुसेना ने चीन के मुकाबले काफी तेजी पंख पसारने में कामयाब रही। सेना के बड़े-बड़े दस्तों को एलएसी के करीब पहुंचाना हो या अपने ही लड़ाकू विमानों की तैनाती। भारत ने चीन को चौंका दिया। बस इसके बाद से चीन एलएसी के करीब अपने वायुसेना के अड्डों को अपग्रेड करना शुरू कर दिया। एलएसी के करीब साकची में नया एयरबेस बनाना शुरू कर दिया। अब बंगाल के हासिमारा बेस पर राफेल तैनात कर भारत ने चीन को जवाब दिया है।
हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाते हैं
करगिल
युद्ध के नायकों के सम्मान में हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया
जाता है। इसी तारीख को 1999 में भारत ने ऊंची चौकियों की कमान संभाली थी।
युद्ध 60 दिनों से अधिक समय तक लड़ा गया और 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ।
सशस्त्र बलों के योगदान को याद करने के लिए पूरे देश में समारोह भी आयोजित
होते हैं।
गुरेज में तैनात एक सैनिक ने कहा, 'यहां करीब 12 फीट बर्फबारी होती है। हमें अभी भी अपने देश की रक्षा के लिए यहां रहना है, क्योंकि डर है कि पाकिस्तानी सेना वही शरारत कर सकती है जो उसने करगिल में की थी। यहां कोई मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है। हम कई बार अपने परिवार वालों से हफ्तों बाद बात करते हैं। हमें सर्दियों के दौरान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान का सामना करना पड़ता है। गुरेज में भी सैनिक करगिल विजय दिवस मनाते हैं। करगिल गुरेज से लगभग 250 किलोमीटर दूर है और LoC के साथ की सीमा समुद्र तल से 10 हजार से 16 हजार फीट ऊपर पहाड़ों से घिरी हुई है।'
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