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Showing posts from March, 2021

Meghan's message to India Drug-Free World,

  Drug-Free World,Meghan's message to India Drug-Free World https://forcetodaynewsuk.yooco.org/videos.html

जल्दी ही खुलासा करेगे - कोटद्वारा मे स्मैक

 फाॅर्स टुडे का अभियान  स्मैक फ्री हो कोटद्धार -जल्दी ही खुलासा करेगे -  जल्दी ही खुलासा करेगे -  कोटद्वारा मे स्मैक --   देश के 20 प्रतिशत राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। इनमें पंजाब राज्य का नाम प्रमुखता से टॉप पर है। अगला नंबर कही उत्तराखंड का ना हो जाये।कोटद्वारा मे जिस तेजी से स्मैक बिक रहा है और युवाओ  के साथ लड़किया भी स्मैक का सेवन करने लगी है इस अनुसार अगला नंबर कोटद्वार का आने मै देर नहीं।  सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है।  नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है।   कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग उसकी उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। स्मैक लेने  से समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है।  सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित−अहित और भले−बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता।  हम विनाश की ओर

मैं दर्द कुबूल करती हूं, तुम सजा कुबूलो [महिला अधिकार]

 7-mar-2021     FORCE-TODAY   Volunteer's team  मैं दर्द कुबूल करती हूं, तुम सजा कुबूलो [महिला अधिकार]   देश की सर्वोच्च अदालत ने कुछ ऐसी ही बात कह डाली जो एक झटके में बराबरी की मांग को चुटकुला बनाकर रख देती है। अदालत ने बलात्कार के आरोपी से पूछा कि क्या वो पीड़िता से शादी करने को राजी है? कहानी कुछ यूं है- साल 2014 में 23 साल के सुभाष चवण नाम के शख्स ने 16 साल की बच्ची से जबर्दस्ती की। डरी हुई बच्ची खुदकुशी के मुहाने पर पहुंच गई, तब जाकर बात सामने आ सकी। केस दर्ज हुआ और मामला निचली अदालत से होते हुए सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया। यहीं पर वो 'ऐतिहासिक' बातचीत हुई, जो औरतों को उनकी असल जगह दिखाती है। माननीय जज ने दोषी से दरयाफ्त करते हुए उसे अब बालिग हो चुकी युवती से शादी करने को कहा। दोषी ने इस पर अपनी मजबूरी जताते हुए बताया कि उसकी शादी हो चुकी है, वरना वो ऐसा कर लेता। अदालती लतीफा इसके बाद भी जारी रहा और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में खड़ा वकील अपने मुवक्किल के बचाव में ये दलील दे सका कि सजा से उसकी सरकारी नौकरी पर दाग लग जाएगा। अब महिला अधिकारों पर बात करने वाल