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जल्दी ही खुलासा करेगे - कोटद्वारा मे स्मैक

 फाॅर्स टुडे का अभियान  स्मैक फ्री हो कोटद्धार -जल्दी ही खुलासा करेगे -

 जल्दी ही खुलासा करेगे -  कोटद्वारा मे स्मैक --

 

देश के 20 प्रतिशत राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। इनमें पंजाब राज्य का नाम प्रमुखता से टॉप पर है।

अगला नंबर कही उत्तराखंड का ना हो जाये।कोटद्वारा मे जिस तेजी से स्मैक बिक रहा है और युवाओ  के साथ लड़किया भी स्मैक का सेवन करने लगी है इस अनुसार अगला नंबर कोटद्वार का आने मै देर नहीं।

 सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है।

 नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है।

 कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग उसकी उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है।

स्मैक लेने  से समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है।

 सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित−अहित और भले−बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता।

 हम विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।   

जल्दी ही खुलासा करेगे की -नशे पर अंकुश नहीं लगाया गया तो हरे−भरे उत्तराखंड  को नष्ट होने से कोई भी नहीं बचा पायेगा।           CONTINUE --------------

 

 मास्क जरूरी है:मास्क के असर पर दो वैज्ञानिकों की नई रिसर्च-

 know how your problem of eating or talking while wearing a mask can be  solved with these amazing coronavirus protective face mask - मास्क पहनकर  खाने या बात करने में होती है

यह जाना-माना तथ्य है कि फेस मास्क से कोविड-19 फैलाने वाले सार्स-सीओवी-2 वायरस का फैलाव रुकता है। कई अध्ययनों से यह आश्चर्यजनक निष्कर्ष निकला है कि यदि मास्क पहनने वाला संक्रमित हो जाए तब भी बीमारी मामूली रहती है। नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट्स, अमेरिका में दो शोधकर्ताओं जोसफ कोर्टनी और एड बेक्स ने इसके कारण खोज निकाले हैं। उन्होंने, बायोफिजिकल जर्नल में अपनी रिपोर्ट में नमी, इम्यून सिस्टम और कफ की सुरक्षात्मक शक्तियों का जिक्र किया है।

मास्क नाक और मुंह में प्रवेश करने वाले संक्रामक कणों की संख्या कम करते हैं। इसलिए लोग सोचेंगे कि गंभीर बीमारी होने की आशंका कम रहेगी। लेकिन, ऐसा नहीं है। बीमारी की गंभीरता निर्भर करती है कि किसी व्यक्ति के फेफड़ों में वायरस के कण कहां तक पहुंच चुके हैं। कपड़े के पतले मास्क छोटे एरोसॉल कणों को मुश्किल से रोक पाते हैं। इन कणों के गहराई तक जाने की संभावना रहती है। नाक और सांस नली में मौजूद कफ जैसा तरल पदार्थ वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ बचाव करता है। सर्दियों में नमी कम होने से सांस नली सूख जाती है।

डा. कोर्टनी और डा. बेक्स का कहना है, मास्क से सतह गीली रहती है। व्यक्ति के सांस छोड़ने से पानी की भाप मास्क के भीतर गहन हो जाती है। फिर सांस लेने से सूखी हवा मास्क से होकर वहां एकत्रित पानी को सांस नली और फेफड़ों में वापस लाती है। इससे मास्क पहनने वाले के इम्यून सिस्टम को फायदा होता है।

मोटा मास्क बेहतर
शोधकर्ताओं ने 37 डिग्री, 22 डिग्री और 8 डिग्री तापमान में कई मास्क का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि सभी मास्क कुछ हद तक नमी का स्तर बढ़ाते हैं। पर कपड़े का मोटा मास्क सबसे बेहतर है। गरम कमरे में भी उससे नमी 50% से अधिक बढ़ गई। ठंडे कमरे में यह 300% पहुंच गई। अन्य मास्क से नमी 150 से 225% रही।.

 

इंडोनेशिया में गैर मुस्लिम लड़कियों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य,

 पर्दा : इस्लाम ने नारी का सिर ऊँचा किया ॥ | खबर की खबर

दुनिया में मुसलमानों की सबसे अधिक आबादी (23 करोड़ 50 लाख) वाले देश इंडोनेशिया में सरकार इस्लामी ड्रेस कोड को आगे बढ़ा रही है। पश्चिम सुमात्रा प्रांत की राजधानी पडांग की मेयर फौजी बाबर ने 2005 में महिला मुसलमान छात्राओं के लिए सिर, गला और सीना ढंकने वाली पोशाक हिजाब (बुर्का) को अनिवार्य कर दिया। नियम गैर मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू कर दिया गया।

लेकिन, कई छात्राएं इसका विरोध करती हैं। इंडोनेशिया में 2001 के बाद स्थानीय सरकारों ने महिलाओं के लिए सिर ढांकने के संबंध में 60 नियम लागू किए हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच के एंड्रियास हरसोनो के अनुसार नियम न मानने वाली महिला अधिकारियों को पदावनत कर दिया या नौकरी से निकाल दिया गया है। उनका कहना है,इंडोनेशिया तीन लाख सरकारी स्कूलों में से अधिकतर स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों के लिए हिजाब जरूरी है। गैर मुस्लिम लड़कियों को भी परदा करने के लिए मजबूर करते हैं।

शिक्षकों को प्रशिक्षित करने वाले फाउंडेशन यायासन कहाया गुरू के हेनी सुपोलो कहते हैं, कई महिला शिक्षकों पर सिर ढकने का दबाव रहता है। हालांकि, केंद्र सरकार उदार रवैया अपनाती है, उसने 3 फरवरी को सभी प्रांतीय सरकारों और स्कूल प्राचार्यों को 5 मार्च तक महिलाओं के लिए हिजाब की अनिवार्यता समाप्त करने का समय दिया है।

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