क्या आप जानते है
इतिहास today 4 oct 43 साल पहले यूएन में पहली बार हिंदी में भाषण;
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जितने बेहतरीन राजनेता थे, उतने ही अच्छे कवि और वक्ता। उन्होंने कई ऐसे काम किए कि भारत को दुनिया में एक अलग पहचान मिली। प्रधानमंत्री के तौर पर पोखरन परमाणु परीक्षण ऐसा ही एक कदम था। वैसे, कम ही लोगों को पता है कि 1977 में उन्होंने 4 अक्टूबर को यूएन की महासभा में पहली बार हिंदी में भाषण देकर नया इतिहास रचा था।
उस समय अटल जी मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में विदेश मंत्री थे और उन्हें ही महासभा को संबोधित करने का मौका मिला था। उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किया। पहली बार भारत की राजभाषा यूएन के मंच से सुनाई दी। करीब तीन मिनट का भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी जाना जाता हैः
- 1302ः बैजेंटाइन साम्राज्य तथा वेनिस गणराज्य के बीच शांति समझौता हुआ।
- 1824ः मैक्सिको रिपब्लिक बना।
- 1830ः नीदरलैंड से अलग होकर बेल्जियम नया देश बना।
- 1943ः अमेरिका ने सोलोमन द्वीप पर कब्जा किया।
- 1963ः क्यूबा और हैती में चक्रवाती तूफान फ्लोरा से छह हजार लोगों की मौत।
- 2006ः जूलियन असांजे ने खुफिया वेबसाइट विकिलीक्स की स्थापना की।
- 2011ः अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) प्रमुख अबू बकर अल बगदादी को वैश्विक आतंकवादी के रूप में चिह्नित किया और साथ ही उस पर एक करोड़ डाॅलर का ईनाम भी रखा।
- 2012ः फाॅर्मूला वन के बादशाह माइकल शूमाकर ने संन्यास लिया।
1582: इटली, पोलैंड, पुर्तगाल ने अपनाया ग्रेगोरियन कैलेंडर
इटली, पोलैंड, पुर्तगाल और स्पेन ने पोप ग्रेगरी के आदेश पर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। इसे इक्विनॉक्स और सॉलस्टाइसेस जैसी घटनाओं को एडजस्ट करने के लिए ही बनाया था। यह भी ध्यान रखा कि नॉदर्न हेमिस्फीयर के स्प्रिंग इक्विनॉक्स के आसपास ही ईस्टर को सेलिब्रेट किया जा सके। कई दिन छोड़ दिए थे। 4 अक्टूबर के बाद एकदम से 15 अक्टूबर आ गया था। आज ज्यादातर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही मान्य है।
COVID-19 Pandemic: कोरोना वायरस हमारे मस्तिष्क और तंत्रिकाओं को कैसे प्रभावित करता है?
- हाल ही में हमने सुना था कि कोरोना वायरस लंग्स को टारगेट करता है और साथ ही किडनी, लीवर और ब्लड वेसल्स को भी. परन्तु ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस मस्तिष्क और तंत्रिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है. आइये इसके बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं .
- कोरोना वायरस के मामले पूरी दुनिया में तेज़ी से बढ़ रहे हैं. ये महामारी अलग-अलग लक्षणों से लोगों को संक्रमित कर रही है. कई रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना वायरस का असर फेफड़ों, किडनी और दिल पर ज्यादा पड़ता है परन्तु एक स्टडी के अनुसार कोरोना वायरस दिमाग पर भी असर कर सकता है. यह वायरस मस्तिष्क की कोशिकाओं को कई गुना तेज़ी से संक्रमित भी कर सकता है.
- एक नए अध्ययन में पहला स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि कुछ लोगों में, कोरोना वायरस मस्तिष्क की कोशिकाओं पर हमला करता है, और मस्तिष्क की कोशिकाओं को हाईजैक करके खुद कि कॉपी बनाना शुरू कर देता है. यह वायरस आस-पास के सभी ऑक्सीजन को भी चूस लेता है, जिसके कारण आस-पास की कोशिकाओं की भी मृत्यु होने लगती है.
यानी ऐसा कहा जा सकता है कि जो पेशेंट्स कोरोना वायरस से संक्रमित हैं उनमें न्यूरोलॉजिकल लक्षण पाए जा रहे हैं जिसके कारण उनको सर दर्द होता है, कुछ समझ नहीं पाते हैं इत्यादि. ये सब इसलिए होता है जब वायरस दिमाग को अटैक करता है. अभी इस पर काफी रिसर्च होना बाकी है.
URL (Uniform Resource Locator) क्या है ?
URL की फुल फॉर्म Uniform Resources Locator है। यूआरएल को सन् 1994 में Tim Berness-Lee ने define किया था और यूआरएल case-sensitive होते हैं अथार्त इसमें हमें lower case तथा upper case का ध्यान रखना पड़ता है। यह इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैंडर्ड तरीका है।
URL यह किसी विशिष्ट फाइल, डायरेक्टरी या वेबसाईट के पेज का एक एड्रेस होता है। जैसे – http://gk-hindi.in इसे URL भी कहा जाता है। आमतौर पर वेबसाईट का एड्रेस वेब साइट के होम पेज को रिप्रेजेंट करता है। किसी भी वेबसाईट का एड्रेस प्रोटोकॉल, डोमेन नेम के साथ आरंभ होता है और डोमेन कोड के साथ समाप्त होता है। क्योंकि हम यूआरएल वर्ड का use अधिकतर intrnet use करते समय करते है तो सिर्फ world wide web पर ही यूआरएल होता है यह कहना सही नहीं होगा क्योंकि URLs किसी local network resource पर भी पॉइंट कर सकता है जैसे- database, lcally होस्ट website आदि।
यह इंटरनेट में किसी वेबसाईट या वेब पेज को access करने के लिए यूआरएल का प्रयोग वेब ब्राउजर के द्वारा किया जाता है।
सामान्यतः URL तीन भागो से मिलकर बना होता है जो कुछ इस प्रकार है -
- सबसे पहला एक Protocol Identifier होता है जो यह बताता है की कोनसा प्रोटोकॉल इस्तेमाल हो रहा है।
- दूसरा भाग एक Domain name होता है जो यह बताता है की कोनसे सर्वर से डाटा यानी resource लाना है।
- तीसरा भाग डॉक्यूमेंट का path और नाम बताता है।
जैसे - http://www.yahoo.com में http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है । जिसका उपयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर yahoo.com नामक वेबसाइट पर जा सकते हैं ।
डोमेन नाम क्या है ?
डोमेन नाम (Domain Name)एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साइट की पहचान बताता है । किसी इंटरनेट वेबसाइट (Website) का यूआरएल (URL) के अंत में डॉट (.) के बाद के नाम को डोमेन कहते हैं । जैसे - http://forcetoday.in में .in डोमेन नेम है । यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है । Domain Name या DNS (Domain Naming System) एक ऐसा नामकरण है जिससे हम किसी website को Internet में identify कर सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण डोमेन नेम निम्नलिखित है :
- .acro - एवीएशन
- .gov - सरकारी संस्था
- .in - भारत
- .net - नेटवर्क
- .name - पर्सनल
- .jobs - नोकरी
- .biz - बिजनेस आर्गेनाईजेशन
- .edu - शैक्षिक संस्था
- .org - आर्गेनाईजेशन
- .mil - सैनिक
- .asia - एशिया
- .com - कॉमर्शियल
कम्प्यूटर की भाषायें क्या है ?
मनुष्य को एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है । भाषा संचार का एक साधन है । ठीक उसी तरह, कम्प्यूटर से बातचीत करने के लिए हमें कम्प्यूटर की भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए । कम्प्यूटर भाषायें अनेक प्रकार की होती है जिनके अपने ही संकेत, कैरेक्ट और प्रयोग करने के नियम होते हैं जो की इंसान को कम्प्यूटर से बातचीत करने में सहायता करते हैं ।तार्किक रूप से सम्बन्धित निर्देशों का समूह जिसे क्रमानुसार व्यवस्थित किया होता है ताकि वह कम्प्यूटर को समस्या सुलझाने में मार्गदर्शन करे, प्रोग्राम कहलाता है । वे भाषायें जिनमें प्रोग्राम लिखे जाते हैं, प्रोग्रामिंग कहलाती हैं । सही नतीजे पाने के लिए इसे सही ढंग से प्रोग्राम किया जाना आवश्यक है ।
इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है :
- मशीनी भाषा (Machine Language) :- मशीनी भाषा ( Machine language ) वह भाषा होती है जिसमें केवल 0 और 1 दो अंको का प्रयोग होता है यह कंप्यूटर की आधारभूूत भाषा होती है जिसे कंप्यूटर सीधे सीधे समझ लेता है, मशीनी भाषा बायनरी कोड में लिखी जाती है जिसके केवल दो अंक होते हैं 0 और 1 चूंकि कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 को ही समझता है और कंप्यूटर का सर्किट यानी परिपथ इन बायनरी कोड को पहचान लेता है और इसे विधुत संकेतो ( Electrical signals ) मे परिवर्तित कर लेता है इसमें 0 का मतलब low या Off है और 1 का मतलब High या On ।
- असेम्बली भाषा (Assembly Language) :- असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक ऐसी कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हैं जिसमे अंकीय संकेतो के स्थान पर अक्षर अथवा चिन्हो का प्रयोग किया जाता है, इस कारण असेम्बली भाषा symbol language भी कहलाती है । असेम्बली भाषा (Assembly Language) एक निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language) है, असेंबली लैंग्वेज प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की सेंकेंड जेनरेशन है ।
- उच्च-स्तरीय भाषा (High Level Language) :- उच्च स्तरीय भाषा (High level language) कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमे अंग्रेजी अक्षरो, संख्याओ एवं चिन्हो का प्रयोग करके प्रोग्राम लिखा जाता है उच्च स्तरीय भाषा (High level language) किसी भी प्रकार के प्रोससर पर कार्य कर सकती है इसे आसानी से समझा जा सकता है यह सामान्य अंग्रेजी जैसी लगती है। इसे कम्पाइलर द्वारा अनुवाद करके मशीनी भाषा में बदला जाता है । इसके उदाहरण है, C++,JAVA,HTML,PASCAL, Ruby आदि
OTP क्या है ?
OTP का पूरा नाम One Time Password होता हैं और इसे One Time Pin के नाम से भी जाना जाता हैं।
OTP एक प्रकार का सुरक्षा कोड (पासवर्ड) हैं जिसके द्वारा यूजर को वैध प्रमाणित किया जाता हैं । यह पासवर्ड केवल एक बार ही इस्तेमाल हो सकता हैं ।
पारंपरिक पासवर्ड आधारित ऑथेंटिकेशन की तुलना में OTP तेज तथा सुरक्षित है. और विभन्न प्रकार के कार्यों के लिए OTP द्वारा 2-Step-Authentication किया जाता है। यह तरीका यूजर तथा संस्था दोनों के लिए एक दूसरे को जांचने का बेहतरीन साधन हैं।
यह पासवर्ड सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिक जेनरेट होता हैं। जो संख्या, शब्द, विशेष-चिन्ह आदि की एक 4-8 वर्णों की विशेष श्र्खंला (String) होती हैं। यह विशेष श्र्खंला 10 सैकंड से आधे घंटे तक मान्य रह सकती हैं। इसके बाद यह अवैध हो जाती हैं. और इससे यूजर का प्रमाणीकरण नही किया जा सकता हैं।
यूजर का प्रमाणिकरण करने के लिए OTP को यूजर के पास ऑनलाईन तथा ऑफलाईन दोनों तरीकों से भेजा जाता हैं। डिजिटल रूप में SMS, Email, Messenger का उपयोग होता हैं। और ऑफलाईन के लिए यूजर के पते पर कागज पर छापकर डाक द्वारा भेजा जाता हैं।
OTP का उपयोग :-
- OTP का इस्तेमाल अनेक कार्यों के लिए किया जाता है जिसमें नेट बैंकिंग भी शामिल है. तथा पैसों का लेन-देन करते समय पुष्टिकरण के लिए मोबाइल में OTP भेजा जाता है ।
- ऑनलाइन शॉपिंग करते समय भुगतान की प्रक्रिया को पूरा करते समय मोबाइल नंबर पर OTP भेजा जाता है ।
- दैनिक जीवन के अनेकों कार्य जैसे नया सिम कार्ड खरीदते समय रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP मैसेज भेजा जाता है ।
- लॉगिन करते समय सही यूज़र को पहचानने के लिए OTP बैंक, गूगल, अमेज़न, फिल्पकार्ट आदि ई-कॉमर्स वेबसाइट तथा अन्य डिजिटल वॉलेट सेवाओं Paytm, Freecharge द्वारा भी किया जाता है ।
- OTP का उपयोग Reactivation के लिए भी किया जाता है ।
- सुरक्षा की दृष्टि से एक डिवाइस में अनेक एकाउंट (Multiple Account) का उपयोग करने के लिए OTP भेजा जाता है ।
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